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नवादा41 मिनट पहले
इस तरह हमें छोड़कर नहीं जाइए सर।’, ‘आपके बिना हमें पढ़ने में मन नहीं लगेगा सर।’, ‘अब हमें विद्यालय में और छुट्टी के बाद भी पढ़ने-लिखने के लिए कौन कहेंगे सर।’ ये कहते हुए विद्यालय के बच्चे अपने प्रिय दयानंद सर का हाथ पकड़-पकड़ कर और बड़े रुँधे गले से फफक-फफक कर रो रहे थे। प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद के विदाई के समय का दृस्य काफी ही मार्मिक हो गया था , बच्चे शिक्षक का हाथ पकड़ कर रोते बिलकते रहे , दूसरे शिक्षकों ने बड़ी ही मुश्किल से बच्चों को उस शिक्षक से दूर किया जा सका। इस तरह का हृदयविदारक दृश्य था उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय नेमदारगंज के प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद के विदाई समारोह का। बच्चे अपने प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद सर का हाथ छोड़ ही नहीं रहे थे और उन्हें विद्यालय से जाने ही नहीं रहे थे। काफी समझाते-बुझाते रहने के बाद बच्चों ने बड़े ही नम आंखों से अपने प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद को विदाई दी। उस समय वातावरण बड़ा सुमधुर हो गया, जब किसी बच्चे ने उन्हें कलम भेंट की तो किसी बच्चे ने उनके हाथ को बड़े भावपूर्ण ढंग से चूम लिया। वहीं किसी बच्ची ने माइक लेकर ये बताया कि वह अपने दयानंद सर की तरह ही शिक्षक बनना चाहते हैं। इस पर किसी ने देश का सच्चा सिपाही तो किसी ने ब्लैक कमांडो भी बनने की इच्छा जाहिर की। एक विद्यार्थी ने वैज्ञानिक बनने का भी दयानंद सर से वादा किया। तब कहीं जाकर माहौल थोड़ा सहज हो सका। उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय नेमदारगंज के प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद की विदाई के समय उच्च माध्यमिक विद्यालय महेशडीह के प्रधानाध्यापक रघुनन्दन किशोर ने सम्मान पत्र पढ़कर वातावरण को और भी गमगीन बना दिया।
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